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क्या आप रेवाडी फैक्ट्री हादसे के बारे में जानते हैं ? इस दुर्घटना के बारे में हमारा ब्लॉग पढ़ें -

  • Writer: Safe in India
    Safe in India
  • May 1, 2024
  • 7 min read

Updated: Jul 5, 2024

( यह ब्लाग ज़मीनी रिपोर्टों और समाचार लेखों पर आधारित हैI सरकारी एजैंसियाँ तथ्यों की जाँच कर रही हैं, जब भी हमें कोई नई जानकारी मिलेगी, हम आपसे साझा करेंगे I हमें जानकरी मिली है कि कंपनी और सरकार ने मिल कर, मरने वाले श्रमिकों को 30 लाख तक का मुआवजा देने का वादा किया है लेकिन घायल श्रमकों को क्या मिलेगा ? मुआवज़ा अच्छी बात है, लेकिन ऐसा एक्सीडेंट फिर नहीं हो , इसके लिए कंपनी, खरीदार या सरकार को अब भी काम करने की ज़रूरत है। ) 


16 मार्च, 2024 की शाम करीब 5.45 (पौने छः) बजे, धारूहेड़ा, जिला रेवाड़ी, हरियाणा की एक आटो सहायक निर्माण फैक्ट्री (कारखाना) लाइफलांग प्राइवेट लिमिटेड में एक धमाका हुआ I कंपनी प्रैशर डाई कास्टिंग कंपोनैंट, एयर क्लीनर्स, प्लास्टिक इंजैक्शन और अन्य असैम्बली से आटो कलपुर्जे (पार्ट) बनाती है I



इस धमाके में उस समय बफरिंग विभाग में काम कर रहे करीब 60 श्रमिक घायल हो गये, जिनमें से 15 गंभीर रूप से घायल हुएI फैक्ट्री में काम करने वाले 1000 से ज़्यादा श्रमिकों (हमारी सूचना के आधार पर) में से ज़्यादातर इस समय तक काम खत्म करके जा चुके थे या जाने की तैयारी कर रहे थे I यह सौभाग्य ही था कि धमाका ऐसे वक्त पर हुआ I  


24 मार्च की शाम यह ब्लाग लिखे जाने तक इन 60 में से 11 श्रमिकों की मृत्यु हो चुकी है और धमाके की असली वजह पर अभी तक बहस ही हो रही है Iअभी तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है I दुर्भाग्य से ऐसा होना बड़ी आम बात हो गई है I


क्या सुरक्षा और रखरखाव दिखावे भर की बातें हैं ? नीतियों और लागू करने के बीच बड़ा अंतर हैं:


ज़मीनी स्तर पर हमारी जानकारी के अनुसा, कुछ श्रमिकों से बातचीत और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर, धूल एकत्र करने वाले (डस्ट कलैक्टर) यंत्र ने या एक चिनगारी पकड़ ली या तो यह इतना ज़्यादा भरा हुआ था कि ज़रूरत से ज़्यादा गर्म हो गया, इसकी वजह से इसमें धमाका हो गया I


श्रमिकों का कहना है कि इसे कई महीनों से साफ नहीं किया गया था, जबकि प्रबंधन (मैनेजमैंट) का दावा है कि इसकी सफाई जनवरी या फरवरी में ही की गई थी I



वहाँ पिछले 5 वर्षों से काम कर रहे एक श्रमिक का कहना है कि पाइप साल में केवल एक बार साफ किये जाते हैं, और वह भी बहुत ही लापरवाही से, आमतौर पर रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता I


हमें बताया गया कि अच्छे प्रबंधन वाली फैक्ट्री डस्ट कलैक्टर को हर सप्ताह साफ करती हैं I


मैनेजमैंट ने इसी तरह की पहले की घटनाओं को गंभीरता से क्यों नहीं लिया ?  


ऐसी भी रिपोर्ट (सूचना) है कि इसी फैक्टरी में जुलाई 2022 में इसी प्रकार की एक घटना हुई थी, लेकिन उसमें किसी को चोट नहीं पहुँची और उसे जल्दी ही नियंत्रण कर लिया गया था I


अप्रैल 2023 में भी पूरा डस्ट कलैक्टर गिर पड़ा था और सौभाग्य से उसमें भी किसी को चोट नहीं लगी थी I मैनेजमैंट पहले इस प्रकार की किसी भी दुर्घटना के होने से इनकार कर रहा है I


श्रमिकों ने हमें बताया कि जब भी कोई आडिट होता है, उन्हें प्लांट से बाहर भेज दिया जाता है, 

आडीटर किसी भी श्रमिक से बात नहीं करते /मिलते, और धूल कम करने के उद्देश्य से उत्पादन किसी एक या दूसरी लाइन पर शुरू कर दिया जाता है जिससे आडीटर फर्श पर ज़्यादा धूल न देख सकें I


इन श्रमिकों को कानून के अनुसार सही कार्य स्थितियाँ क्यों नहीं दी गईं ?  


मीडिया रिपोर्ट संकेत करती हैं कि श्रमिकों ने शिकायत की है कि उन्हें 12 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ती है जिसमें केवल एक लंच ब्रेक (दोपहर के खाने की छुट्टी) होता है और कोई भी अन्य ब्रेक, कोई साप्ताहिक छुट्टी नहीं मिलती I 


उत्पादन का बहुत दबाव होता है क्योंकि बड़े ही मुश्किल लक्ष्य हासिल करने होते हैं I कम से कम सुरक्षा उपकरण जैसे कि दस्ताने और मास्क दिये गये थे, जो आग फैलने पर उनकी त्वचा में ही चिपक गये I



भारतीय कानून के अनुसार एक सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे काम, दोगुनी दर पर ओवर टाइम का भुगतान का प्रावधान है (क्या उन्हें इसका भुगतान किया गया था ?


अब तक हमारे द्वारा सहायता प्राप्त 5,000 श्रमिकों के अनुभव को देखें, तो हमें इसमें संदेह है), एक सप्ताह में अधिकतम 6 दिन काम, और फैक्ट्री अधिनियम के अनुसार सुरक्षा उपकरण अनिवार्य है (हम निश्चित हैं कि उन्हें कानून के अनुसार न्यूनतम सुविधा नहीं दी गई) 


श्रमिक यह भी दावा करते हैं कि फैक्ट्री में कानून के अनुसार ज़रूरी उचित जगह नहीं दी गई थी और आपातकाल निकास द्वार बंद थे और इन तक पहुँचने के लिये सुगम रास्ता भी नहीं दिया गया था I 

 

सर शादी लाल सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि ज़्यादातर श्रमिक उपयुक्त मानक वर्दी (यूनीफार्म) नहीं पहने हुए थे और कपड़ों के जल कर उनके शरीर से चिपक जाने से समस्या और भी बिगड़ गई I



बहुत मात्रा में हानिकारक गैसों को ग्रहण करने की वजह से कई श्रमिकों को साँस संबंधी गंभीर समस्याएं हो रही थीं I कुल मिला कर सुरक्षा व्यवस्था की कमी स्पष्ट रूप से उजागर हो रही थी I


हम 5 वर्षों से भी ज़्यादा से ये मुद्दे इस तरह की फैक्ट्रियों से माल खरीदने वाले आटोमोबाइल ब्रांड और सरकार के साथ उठाते रहे हैं :


SII ने 26 नवंबर 2023 को जारी क्रश्ड श्रृंखला की कड़ी में पाँचवीं वार्षिक रिपोर्ट में एक बार फिर से इन मुद्दों पर ध्यान खींचा है I



ये रिपोर्टें 2016 से आटो सैक्टर की निचले स्तर की सप्लाई चेन में खराब कार्य स्थितियों, खराब रखरखाव और सुरक्षा प्रदान करने वाली मशीनों की खराब हालत, खराब प्रशिक्षण और उत्पादन के बहुत ज़्यादा दबाव के प्रमाण देती रही हैं I


यह हादसा दिखाता है कि आटो सैक्टर में बदलाव लाने की हमारी कोशिशों को रोका नहीं जा सकता और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये कोशिश जारी रखना हमारा प्रमुख लक्ष्य बने रहना ज़रूरी है, जब तक कि आटोमोबाइल ब्रांड भारत सरकार के NGRBC (ज़िम्मेदार व्यावसायिक आचरण के राष्ट्रीय दिशा निर्देश) के तहत अपनी सप्लाई चेन के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाते I

 

हमारा ब्लाग और रिपोर्ट यहाँ देखे जा सकते हैं : क्रश्ड 2023 यह रिपोर्ट शीर्ष 10 आटोमोबाइल ब्रांड में अपनी अंगुलियाँ खो देने वाले हज़ारों श्रमिकों के प्रमाण प्रस्तुत करती है I


इन जले हुए श्रमिकों को तुरंत अविलंब ESIC अस्पतालों में क्यों नहीं ले जाया गया ?  


 10 से ज़्यादा कर्मचारियों वाले किसी भी संस्थान को ESIC के साथ पंजीकृत होना चाहिये, और सभी श्रमिकों को नौकरी के पहले ही दिन अपने ESIC कार्ड मिल जाने चाहिये I


जब हमारी टीम ने इनमें से कुछ श्रमिकों से पूछा कि क्या वे ESIC में पंजीकृत हैं, ज़्यादातर को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था I यह कोई संयोग नहीं है कि इन श्रमिकों को सबसे पहले या उसके बाद भी इलाज के लिये ESIC अस्पताल नहीं ले जाया गया I


ESIC के बारे में जागरूकता बढ़ाना, फैक्ट्री मालिकों / ठेकेदारों को अपने श्रमिकों को इस योजना में पंजीकृत करवाने के लिये बाध्य करना और ESIC अस्पतालों में सुविधाओं को बेहतर करने और हितलाभ के लिये आवेदन करने और हासिल करने की प्रक्रिया को श्रमिकों के लिये आसान बनाने के लिये ESIC से सहयोग करना SII के प्रमुख उद्देश्य बने रहेंगे I


इस विषय पर हमारा ब्लाग यहाँ देखें : LINK


राणा प्लाजा में एक फैक्ट्री में लगी आग की दुर्घटना , जिसमें 1000 से ज़्यादा श्रमिक मारे गये थे I

बंगला देश को इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करने के लिये मजबूर कर दिया था I


क्या 60 जले हुए श्रमिक, जिनमें से 11 की मृत्यु भी हो गई हमें यह बताने के लिये पर्याप्त नहीं है कि हमें क्या करना है ? 

 

हमारा विश्वास है कि शीर्ष आटोमोबाइल ब्रांडों द्वारा भारत के आटो सैक्टर में चोटग्रस्त होने वाले सैकड़ों श्रमिकों को बचाने के लिये कदम उठाने के लिये भारत में राणा प्लाजा जैसी किसी घटना की ज़रूरत नहीं होनी चाहिये I बिना देर सही कदम उठाने का समय आ गया है, वैसे तो ये कदम पहले ही उठा लिये जाने चाहिये थे I 


इसी उद्देश्य से हम भारत के 10 शीर्ष आटोमोबाइल ब्रांडों की नीतियों का अध्ययन करते रहे हैं और बदलावों के लिये सिफारिशें देते हैं जिसे वे अपनी पूरी सप्लाई चेन की OSH मानकों के लिये निगरानी करें और अपनी फैक्ट्रियों के अच्छे मानक अपने वैंडरों की फैक्ट्रियों में भी सुनिश्चित करें I


आप हमारी नई सेफ्टी नीति रिपोर्ट यहाँ देख सकते हैं : LINK


इस फैक्टरी से माल खरीद रहे आटोमोबाइल ब्रांड अपने सप्लाई चेन की इस खराब तरह से चलाई जाने वाली फैक्ट्रियों के लिये क्या करेंगे? 


हम 23 मार्च 2024 की शाम 5 बजे लाइफलांग प्राइवेट लिमिटेड की वैब साइट पर गये I कुछ स्क्रीन शॉट नीचे प्रस्तुत हैं I वे दावा करते हैं कि वे हीरो मोटर्स को माल की आपूर्ति करते हैं, जो भारत की शीर्ष 10 आटोमोबाइल ब्रांड में एक है (मीडिया ने भी अपनी रिपोर्ट में इसे जगह दी है) I


हमने अभी तक हीरो की सप्लाई चेन से 500 से ज़्यादा चोटग्रस्त श्रमिकों को मदद पहुँचाई है I


उन्होंने अपने ग्राहकों और प्रबंधन (मैनेजमैंट) की सूची को बड़े जोरशोर से प्रकाशित किया है I फिर भी, अभी तो केवल श्रमिक ही इधर से उधर और अंतिम संस्कार में भाग-दौड़ रहे हैं I लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिये था I


अच्छी OSH नीतियाँ, जिनमें श्रमिक कल्याण और संस्थान को अच्छे पेशेवर ढंग से चलाना शामिल है, किसी भी तरह से लाभ अर्जन करने, लाभ को बढ़ाने या श्रमिकों की उत्पादकता को बढ़ाने के लक्ष्यों के विपरीत नहीं होतीं I


खराब OSH नीतियाँ कुछ नया करने से रोकती हैं, आपको वैश्विक प्रतियोगिता में पीछे छोड़ देती हैं और हमारे कर्मचारियों की क्षमता का उपयोग करने से रोकती हैं I यह हर तरह से एक राष्ट्रीय हानि (नुकसान) की वजह बनती हैं, श्रमिकों की उत्पादकता को कम करती हैं और निर्माण उद्योग की कार्यशैली को गैरपेशेवर बना देती हैंI

 

सरकारी जाच से क्या पता चलेगा ? 


हरियाणा सरकार ने एक न्यायिक जाँच शुरू की है और हमें उनके निष्कर्षों, सिफारिशों और उठाये गये कदमों का इंतज़ार रहेगा I



हम यह भी आशा करते हैं कि हरियाणा मानवाधिकार आयोग, जिसने हमारी रिपोरटों के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 2019 में तीन आटोमोबाइल ब्रांडों पर मामला दर्ज किया था, इस घटना पर भी ध्यान देगा, और मामले का जल्द निपटारा करेगा I


हमने देखा है कि आधिकारिक रूप से हरियाणा राज्य में पिछले दस से ज़्यादा वर्षों से प्रति वर्ष करीब 50 श्रमिक दुर्घटनाएं दर्ज की जाती हैं I सच ये है कि 1000 से ज़्यादा दुर्घटनाओं की सूचना हमारे द्वारा दी जाती है I आशा करते हैं कि इस हादसे के बाद सरकार श्रमिक दुर्घटनाओं / लगने वाली चोटों के रिपोर्ट करने के अपने तंत्र में सुधार करेगी I


(30 मार्च का अपडेट: टाइम्स आफ इंडिया के अनुसार न्यायिक जाँच आयोग हादसे की वजहों और लाइफलांग प्राइवेट लिमिटेड मैनेजमैंट की तरफ से कमियों का, यदि कोई थीं- का पता लगाने में विफल रहा, और सरकार देश भर के विशेषज्ञों की एक समिति बनाने की योजना बना रही है )


आप क्या कर सकते हैं? 


हम आपसे इस ब्लाग को आटोमोबाइल सैक्टर में जिनको भी आप जानते हैं, उनके साथ शेयर करने और उनसे एक छोटा सा सवाल पूछने का अनुरोध करते हैं:  


ऐसा कैसे है कि भारत के सबसे बड़े और सबसे ज़्यादा लाभकारी निर्माण क्षेत्रों में से एक यह सुनिश्चित नहीं कर रहा है कि उसके सप्लायर कानून का पालन करें ? इससे न केवल श्रमिकों के जीवन और रोजगार को खतरा होता है, पर भारत के विकास की गति भी प्रभावित होती है I


कृपया team@safeinindia.org  पर अपने फीडबैक और सुझाव दें I


 
 
 

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