Shramik Saathis
हमारे श्रमिक साथी न केवल हमारे साथ कंधे से कंधा मिला कर मुश्किल में पड़े अपने साथियों तक राशन पहुँचाने में दिन-रात एक कर रहे हैं, ये बस्तियों में जाकर ज़रूरतमंद लोगों की पहचान करने में हमारी पूरी मदद भी कर रहे हैं. आइये, इनमें से कुछ श्रमिक साथियों से मिलते हैं.

उमेश कुमार
पन्ना, मध्य प्रदेश के रहने वाले 28 वर्षीय उमेश सेफ इन इंडिया के साथ करीब तीन महीनों से करीबी से जुड़े हुए हैं. यहाँ खो गाँव में रहते हैं, और पूरी शिद्दत के साथ राशन के पैकेट बनवाने और बँटवाने में टीम की मदद कर रहे हैं.

मनमोहन बाजपेयी
कानपुर, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी, 42 वर्ष के मनमोहन कासन गाँव में रहते हैं. लगभग 2 वर्षों से सेफ इन इंडिया से नज़दीकी जुड़ाव है, ये ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँचने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं और राशन बाँटने में भी साथ देते हैं.
विश्वदीपक यादव
31 वर्षीय विश्वदीपक इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं और यहाँ मानेसर गाँव में रहते हैं. करीब छः महीनों से सेफ इन इंडिया से नज़दीकी से जुड़ाव रखते हैं और घंटों तत्परता से खड़े हो कासन मंदिर में पका भोजन बाँटने में मदद करते रहे हैं. राशन पैकेट पैक करवाने में भी इनका योगदान है.

नीरज कुमार
हाल में ही सेफ इन इंडिया से जुड़े 21 वर्ष के नीरज पूर्वी चम्पारन के रहने वाले हैं और स्थानीय रूप से खो गाँव के निवासी हैं. दूरदराज़ बस्तियों में जाकर ज़रूरतमंद श्रमिकों की पहचान करने और राशन वितरण में मदद कर रहे हैं.


मनोज कुमार
सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले 28 साल के मनोज पेशे से ड्राइवर हैं, ये सेफ इन इंडिया से राहत कार्य के दौरान ही मिले और नज़दीकी से जुड़ गये. दुकान से राशन सामग्री लोड करवाने और वितरण में भरपूर मदद कर रहे हैं. ये नवादा गाँव में रह रहे हैं.

पवन शाह – उम्र -32 वर्ष
बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले पवन शाह फैक्ट्री में काम करने के दौरान पॉवर प्रेस मशीन पर वर्ष 2018 में बाएं हाँथ की चारों उंगलिया गवां चुके है l ये वर्ष 2018 में सेफ इन इंडिया फाउंडेशन से जुड़े और उसी समय से हरियाणा राज्य के रेवाड़ी जिले में स्थित “बावल इंडस्ट्रियल क्षेत्र” में काम करने वाले श्रमिको को सेफ इन इंडिया फाउंडेशन से जोड़कर उनकी मदद कर रह रहे है l
प्रेमानन्द सरस्वती- उम्र -45 वर्ष
बिहार राज्य के भागलपुर जिले के रहने वाले प्रेमानंद सरस्वती को फैक्ट्री में काम करने के दौरान पावर प्रेस मशीन में दो बार चोट लगी और इन्होने अपने बाएं हाँथ की दो उंगलियाँ गवां दी l पहली बार वर्ष 2018 में चोट लगने पर इन्हें सेफ इन इंडिया फाउंडेशन से मदद मिली और दूसरी बार वर्ष 2020 में चोट लगने पर ये दोबारा से संस्था में आये और श्रमिक साथी के रूप जुड़े l उसी समय से हरियाणा राज्य के रेवाड़ी जिले में स्थित “धारुहेरा इंडस्ट्रियल क्षेत्र” में काम करने वाले श्रमिको को सेफ इन इंडिया फाउंडेशन से जोड़कर उनकी मदद कर रह

पवन शाह – उम्र -32 वर्ष
मध्य प्रदेश के टीकमगढ जिले के एक छोटे से गाँव –मगरई के रहने वाले राहुल अहिरवार ने अपनी 12वी की परीक्षा मार्च -2019 में देकर अपने पिता और भाई के पास हरियाणा के पलवल में आ गए l राहुल के पिता पलवल में चिनाई (दिहाड़ी मजदूरी) का काम करते है l राहुल पलवल में कमरे में अकेले रहते थे जब उनके पिता और भाई काम करने के लिए चले जाते थे , इस कारन राहुल का मन कमरे में नहीं लगता था l एक दिन राहुल ने सोचा की वह भी एक –दो महीने किसी कम्पनी में काम कर लेगा तो वह बिजी हो जायेगा और कुछ पैसे भी आजायेंगे जिससे वह अपने लिए कपड़े भी खरीद लेगा l यही सोच करके वह पलवल के पास प्रथला में एक कंपनी में बतौर हेल्पर नियुक्ति हो गया l इस कंपनी में ऑटोमोबाइल के पार्ट बनते है l
कपंनी के सुपरवाइजर ने राहुल को बोला की आप मशीन भी चलाया करो तो राहुल ने बोला की मै हेल्पर हूँ मै मशीन नहीं चला सकता हूँ l सुपरवाइजर ने बोला की यदि मशीन नहीं चलाओगे तो काम नहीं है आप कंपनी में काम मत करो l इस प्रकार राहुल को प्रेशर देकर मशीन चलवाई गयी l दिनांक 26/0421 को शाम 06 :00 बजे राहुल पॉवर प्रेस मशीन चला रहे थे की अचानक मशीन में डबल स्ट्रोक हो गया और राहुल के दोनों हांथों की हथेली कट गयी l राहुल का अरमान आगे और पढाई करने का था जी की पूरा नहीं हो पाया l
राहुल ने अपने हथेलियों को वापस पाने के लिए मुम्बई के डॉक्टर से बात किया तो डॉक्टर ने बोला यदि कोई डोनर मिलता है तो हम आपके हथेलियों को फिर से जोड़ने का प्रयास करेंगे और इस ऑपरेशन में लगभग 05 लाख रूपये का खर्च आएगा l राहुल के पास इतने पैसे नहीं थे तो इस कारन राहुल अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश सरकार से सपर्क किया और उनको अपनी समस्या से अवगत किया l मध्य प्रदेश सरकार ने राहुल की मदद की और पूरा फण्ड राहुल के खाते में डाल दिया l राहुल अभी भी मुंबई के परेल में 6000/- रूपये भाड़े का रूम लेकर रह रहे है और लगातार अपने डॉक्टर के सम्पर्क में है l लेकिन अभी तक राहुल को डोनर नहीं मिला है l राहुल की उम्मीद अभी भी कायम है एक दिन मै अपनी हथेलियों को वापस पा लूँगा l
ESIC हॉस्पिटल फरीदाबाद में इलाज के दौरान राहुल सेफ इन इंडिया फाउंडेशन से जुड़े और संस्था ने इनकी ESIC से आजीवन पेंशन दिलवाने में मदद की l वर्ष 2020 से राहुल श्रमिक साथी के र्रूप में श्रमिको का ऑनलाइन सर्वे करने में , श्रमिको द्वारा दी गयी महत्त्वपूर्ण जानकारियों की डाटा एंट्री करके श्रमिको की मदद कर रहे है l

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